GST कंपोजिशन स्कीम क्या है और इसे कौन चुन सकता है?

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Answer By law4u team

जीएसटी कंपोजिशन स्कीम भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत एक सरलीकृत कराधान योजना है। यह छोटे व्यवसायों के लिए अनुपालन बोझ को कम करने और नियमित जीएसटी दरों के बजाय उनके टर्नओवर के आधार पर एक निश्चित दर पर कर का भुगतान करने की अनुमति देकर कर दाखिल करने को आसान बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जीएसटी कंपोजिशन स्कीम की मुख्य विशेषताएं: सरलीकृत कर दाखिल करना: इस योजना के तहत व्यवसाय मासिक रिटर्न के बजाय त्रैमासिक जीएसटी रिटर्न (जीएसटीआर-4) दाखिल करते हैं। कम कर दरें: इस योजना के तहत कर की दर मानक जीएसटी दरों से कम है: निर्माताओं और व्यापारियों के लिए 1%। रेस्तरां (शराब नहीं परोसने वाले) के लिए 5%। सेवा प्रदाताओं के लिए 6% (2019 में 50 लाख रुपये तक के टर्नओवर के लिए पेश किया गया)। कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) नहीं: इस योजना को चुनने वाले व्यवसाय अपनी खरीद पर आईटीसी का दावा नहीं कर सकते। अनुपालन प्रतिबंध: कंपोजिशन करदाता कर चालान जारी नहीं कर सकते। इसके बजाय, वे आपूर्ति का बिल जारी करते हैं क्योंकि उन्हें ग्राहकों से जीएसटी एकत्र करने की अनुमति नहीं है। जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के लिए पात्रता: टर्नओवर सीमा: अधिकांश राज्यों में ₹1.5 करोड़ तक के वार्षिक टर्नओवर वाले व्यवसाय इस योजना का विकल्प चुन सकते हैं। पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों के लिए, टर्नओवर सीमा ₹75 लाख है। 50 लाख तक के टर्नओवर वाले सेवा प्रदाता 2019 में शुरू की गई विशेष योजना के तहत विकल्प चुन सकते हैं। व्यवसाय का प्रकार: निर्माता, व्यापारी और सेवा प्रदाता (विशेष योजना के तहत) इस योजना का विकल्प चुन सकते हैं। ई-कॉमर्स ऑपरेटर और अंतरराज्यीय आपूर्ति करने वाले व्यवसाय पात्र नहीं हैं। अपवर्जन: गैर-कर योग्य वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले व्यवसाय। ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से माल की आपूर्ति करने वाले व्यवसाय। आकस्मिक कर योग्य व्यक्ति और अनिवासी कर योग्य व्यक्ति। जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के लाभ: कम कर बोझ: नियमित जीएसटी दरों की तुलना में कम कर दरें। सरलीकृत अनुपालन: कम रिटर्न और आसान रिकॉर्ड-कीपिंग। लागत-प्रभावी: कम प्रशासनिक और परिचालन लागत। जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के नुकसान: कोई आईटीसी नहीं: इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने की अयोग्यता। सीमित संचालन: अंतरराज्यीय व्यापार में शामिल व्यवसायों या कर चालान की आवश्यकता वाले व्यवसायों के लिए उपयुक्त नहीं है। कर देयता: कर की गणना टर्नओवर पर की जाती है, भले ही कोई लाभ न हो। जीएसटी कंपोजिशन स्कीम का विकल्प कैसे चुनें: पंजीकरण के समय: जीएसटी पंजीकरण के लिए आवेदन करते समय, व्यवसाय प्रासंगिक विकल्प का चयन करके कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुन सकता है। मौजूदा करदाता: मौजूदा जीएसटी-पंजीकृत व्यवसाय फॉर्म जीएसटी सीएमपी-02 दाखिल करके वित्तीय वर्ष की शुरुआत में कंपोजिशन स्कीम में बदल सकते हैं। अनुपालन: कंपोजिशन करदाताओं को अपने साइनबोर्ड और चालान पर "कंपोजिशन कर योग्य व्यक्ति" इंगित करना चाहिए। निष्कर्ष: जीएसटी कंपोजिशन स्कीम सरलीकृत कर अनुपालन और कम दरों की तलाश करने वाले छोटे व्यवसायों के लिए आदर्श है। हालांकि, व्यवसायों को अपनी पात्रता और परिचालन आवश्यकताओं का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए, क्योंकि इस योजना में कुछ सीमाएं हैं, जैसे आईटीसी का अभाव और कर चालान जारी करने पर प्रतिबंध।

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