भारत में मुस्लिम कानून के तहत, विवाह से बाहर पैदा हुए बच्चे (अवैध संतान) को पिता की संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार नहीं होता है, लेकिन वह मां से उत्तराधिकार प्राप्त कर सकता है। अवैध संतान के लिए उत्तराधिकार नियम पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं सुन्नी और शिया कानून के तहत, एक अवैध संतान का पिता के साथ कोई कानूनी संबंध नहीं माना जाता है। बच्चा पिता की संपत्ति में उत्तराधिकार प्राप्त नहीं कर सकता। मां की संपत्ति में अधिकार अवैध संतान मां और उसके रिश्तेदारों से उत्तराधिकार प्राप्त कर सकती है। मां की संपत्ति में वैध संतान के हिस्से के समान ही हिस्सा होता है। पिता द्वारा मान्यता (पितृत्व स्वीकार करना) यदि पिता बच्चे को अपना मानता है, तो कुछ इस्लामी विद्वान सुझाव देते हैं कि बच्चे को वैध माना जा सकता है। हालांकि, भारतीय मुस्लिम कानून के तहत सामान्य व्यवहार में, केवल स्वीकृति से उत्तराधिकार का अधिकार नहीं मिलता है। वसीयत (वसीयत) या उपहार (हिबा) पिता वसीयत (वसीयत) या उपहार (हिबा) के ज़रिए नाजायज़ बच्चे को संपत्ति दे सकता है। हालाँकि, इस्लामी कानून के तहत, वसीयत केवल कुल संपत्ति के एक-तिहाई हिस्से के लिए ही बनाई जा सकती है, जब तक कि अन्य उत्तराधिकारी सहमति न दें। निष्कर्ष नाजायज़ बच्चे को पिता से विरासत नहीं मिल सकती, लेकिन माँ की संपत्ति में उसे पूरा उत्तराधिकार अधिकार होता है। पिता वसीयत या उपहार के ज़रिए संपत्ति दे सकता है।
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