हलाला इस्लामी कानून के तहत तलाक और पुनर्विवाह से संबंधित एक प्रथा है, मुख्य रूप से तलाक-ए-बिद्दत (तीन तलाक) के संदर्भ में। इसका उद्देश्य तलाक के दुरुपयोग के खिलाफ एक निवारक होना है। 1. हलाला का अर्थ: - निकाह हलाला एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करता है, जिसमें एक महिला, जिसे उसके पति ने अपरिवर्तनीय तलाक (तीन तलाक) के माध्यम से तलाक दिया है, किसी अन्य व्यक्ति से शादी करती है, उस विवाह को पूरा करती है, और फिर अपने पूर्व पति से कानूनी रूप से पुनर्विवाह करने से पहले तलाकशुदा या विधवा हो जाती है। - यह कुरान की आयत (सूरह अल-बकराह, 2:230) पर आधारित है: "और अगर उसने उसे (तीसरी बार) तलाक दे दिया है, तो वह उसके बाद उसके लिए वैध नहीं है जब तक कि वह उसके अलावा किसी अन्य पति से शादी न कर ले..." 2. हलाला का उद्देश्य: - यह अवधारणा जल्दबाजी में तलाक के खिलाफ एक निवारक के रूप में कार्य करती है। - यह सुनिश्चित करता है कि तलाक को गंभीरता से लिया जाए और उसका दुरुपयोग न किया जाए। 3. हलाला के लिए शर्तें: - महिला को किसी दूसरे पुरुष से वास्तविक विवाह करना चाहिए (कानून में हेरफेर करने के इरादे से किया गया अनुबंध विवाह नहीं)। - विवाह पूर्ण होना चाहिए। - दूसरे पति का तलाक या मृत्यु स्वाभाविक रूप से होनी चाहिए और पहले से नियोजित नहीं होनी चाहिए। 4. भारत में कानूनी स्थिति: - जबकि हलाला को मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत मान्यता प्राप्त है, लेकिन इसे पहले से तय समझौते के रूप में करने की प्रथा को अमान्य और गैर-इस्लामी माना जाता है। - निकाह हलाला का दुरुपयोग भारतीय कानून के तहत दंडनीय है क्योंकि इसमें शोषण, जबरदस्ती या छल शामिल हो सकता है। 5. न्यायिक दृष्टिकोण: - भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निकाह हलाला के दुरुपयोग की आलोचना की है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत इसके दुरुपयोग से संबंधित मामलों पर विचार किया है।
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