जीएसटी रिफंड में देरी और करदाता उन्हें कैसे संबोधित कर सकते हैं 1. जीएसटी रिफंड में देरी के कारण: - रिफंड आवेदन में त्रुटियाँ या विसंगतियाँ। - अपूर्ण या अपर्याप्त सहायक दस्तावेज। - जीएसटी पोर्टल में तकनीकी गड़बड़ियाँ। - कर अधिकारियों द्वारा मैन्युअल प्रसंस्करण में देरी। - रिफंड दावों को दाखिल करने के लिए समयसीमा का पालन न करना। 2. दावों के लिए पात्र रिफंड के प्रकार: - माल या सेवाओं का निर्यात (आईजीएसटी के भुगतान के साथ या बिना)। - इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर में अतिरिक्त शेष राशि। - उलटे शुल्क ढांचे के कारण रिफंड। - डीम्ड निर्यात से संबंधित रिफंड। - अनंतिम मूल्यांकन या अपील आदेशों के कारण रिफंड। 3. रिफंड में देरी को संबोधित करने की प्रक्रिया: - जीएसटी पोर्टल पर रिफंड आवेदन की स्थिति की नियमित रूप से जाँच करें। - कर अधिकारियों द्वारा उठाए गए किसी भी कमी ज्ञापन या प्रश्नों का तुरंत जवाब दें। - आवेदन में किसी भी त्रुटि को सुधारें और यदि आवश्यक हो तो पुनः दाखिल करें। 4. विलंबित रिफंड के लिए उपाय: - विलंबित रिफंड पर ब्याज: यदि पूर्ण आवेदन प्राप्त होने की तिथि से 60 दिनों के भीतर रिफंड जमा नहीं किया जाता है, तो करदाता एक निर्दिष्ट दर (आमतौर पर 6% प्रति वर्ष) पर ब्याज का हकदार है। - शिकायत दर्ज करना: करदाता जीएसटी पोर्टल के शिकायत निवारण तंत्र के माध्यम से शिकायत दर्ज कर सकते हैं या क्षेत्राधिकार वाले जीएसटी अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। - अपील: यदि रिफंड अनुचित रूप से रोका या अस्वीकार किया जाता है, तो करदाता जीएसटी कानून के तहत अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील दायर कर सकते हैं। 5. निवारक उपाय: - सुनिश्चित करें कि रिफंड दावा दाखिल करते समय सभी विवरण सटीक हैं और दस्तावेज पूरे हैं। - चालान, निर्यात दस्तावेजों और अन्य प्रासंगिक दस्तावेजों का उचित रिकॉर्ड रखें। - रिफंड की स्थिति को नियमित रूप से ट्रैक करें और किसी भी नोटिस का तुरंत जवाब दें।
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