सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया क्या है?

Answer By law4u team

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पर महाभियोग चलाना एक गंभीर और दुर्लभ प्रक्रिया है। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 124(4) में उल्लिखित है। किसी न्यायाधीश पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 में विस्तृत है। यहां प्रक्रिया का एक सिंहावलोकन दिया गया है: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पर महाभियोग की प्रक्रिया: गति: यह प्रक्रिया किसी न्यायाधीश को हटाने के प्रस्ताव की शुरुआत के साथ शुरू होती है। यह प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन - लोकसभा (लोगों का सदन) या राज्यसभा (राज्यों की परिषद) में पेश किया जा सकता है। सूचना: प्रस्ताव को लोकसभा के कम से कम 100 सदस्यों या राज्यसभा के 50 सदस्यों का समर्थन होना चाहिए। आमतौर पर 14 दिन की नोटिस अवधि की आवश्यकता होती है। अध्यक्ष/अध्यक्ष द्वारा परीक्षा: नोटिस प्राप्त होने के बाद, लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति (जैसा लागू हो) तय करेंगे कि प्रस्ताव उचित है या नहीं। यदि हां, तो प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है। जांच समिति: एक बार प्रस्ताव स्वीकार हो जाने के बाद, आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति का गठन किया जाता है। समिति में तीन सदस्य होते हैं - एक मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय का एक न्यायाधीश, एक उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश और एक प्रतिष्ठित न्यायविद्। आरोप और प्रतिक्रिया: जांच समिति न्यायाधीश के खिलाफ आरोपों की जांच करती है और न्यायाधीश को बचाव प्रस्तुत करने का अवसर देती है। अध्यक्ष/सभापति को रिपोर्ट करें: जांच समिति अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति को सौंपती है। संकल्प: समिति की रिपोर्ट के आधार पर, न्यायाधीश को हटाने का एक प्रस्ताव उस सदन में प्रस्तुत किया जाता है जहाँ से यह प्रस्ताव उत्पन्न हुआ था। विशेष बहुमत: हटाने का प्रस्ताव विशेष बहुमत द्वारा अपनाया जाना चाहिए, जिसका अर्थ है उस सदन की कुल सदस्यता का बहुमत और उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई का बहुमत। दूसरा घर: यदि प्रस्ताव उस सदन में अपनाया जाता है जहां इसे पेश किया गया था, तो इसे विचार के लिए दूसरे सदन में भेजा जाता है। दूसरे सदन को भी विशेष बहुमत से प्रस्ताव को अपनाना होगा। राष्ट्रपति की सहमति: यदि दोनों सदन आवश्यक बहुमत के साथ प्रस्ताव पारित कर देते हैं, तो इसे राष्ट्रपति की सहमति के लिए प्रस्तुत किया जाता है। जज को हटाने के लिए राष्ट्रपति की सहमति आवश्यक है। निष्कासन: राष्ट्रपति की सहमति मिलते ही न्यायाधीश को पद से हटा दिया गया माना जाता है। ध्यान देने योग्य बातें: पूरी प्रक्रिया समय लेने वाली है और न्यायाधीश के खिलाफ आरोपों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। महाभियोग एक गंभीर मामला है और आरोप ऐसी प्रकृति के होने चाहिए जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अखंडता को प्रभावित करते हों। किसी न्यायाधीश पर महाभियोग चलाना एक दुर्लभ घटना है, और यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अखंडता को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित करता है। यह प्रक्रिया किसी न्यायाधीश को पद से हटाने से पहले आरोपों की निष्पक्षता और गहन जांच सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई है।

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