भारत में बौद्धिक संपदा की चोरी में विभिन्न प्रकार के उल्लंघन शामिल हो सकते हैं, जिनमें कॉपीराइट उल्लंघन, पेटेंट उल्लंघन, ट्रेडमार्क उल्लंघन और व्यापार रहस्य चोरी शामिल हैं। बौद्धिक संपदा की चोरी के लिए सज़ा विशिष्ट प्रकार के उल्लंघन और लागू कानूनों पर निर्भर करती है। भारत में विभिन्न कानूनों के तहत बौद्धिक संपदा की चोरी से संबंधित कुछ प्रमुख प्रावधान यहां दिए गए हैं: कॉपीराइट उल्लंघन (कॉपीराइट अधिनियम, 1957): सज़ा: कॉपीराइट का उल्लंघन एक नागरिक अपराध है, लेकिन कुछ मामलों में, यह एक आपराधिक अपराध भी हो सकता है। कॉपीराइट अधिनियम की धारा 63 के तहत आपराधिक कॉपीराइट उल्लंघन की सजा में तीन साल तक की कैद और दो लाख रुपये तक का जुर्माना शामिल है। पेटेंट उल्लंघन (पेटेंट अधिनियम, 1970): सज़ा: पेटेंट का उल्लंघन मुख्य रूप से एक नागरिक अपराध है। पेटेंट मालिक क्षति, निषेधाज्ञा या अन्य राहत के लिए सिविल मुकदमा दायर कर सकता है। कुछ परिस्थितियों में आपराधिक दंड लागू हो सकते हैं, लेकिन ये आम तौर पर कम आम हैं। ट्रेडमार्क उल्लंघन (ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999): सज़ा: ट्रेडमार्क उल्लंघन के परिणामस्वरूप नागरिक और आपराधिक दोनों दायित्व हो सकते हैं। नागरिक उपचारों में क्षतिपूर्ति, निषेधाज्ञा और उल्लंघनकारी सामान की डिलीवरी के आदेश शामिल हैं। ट्रेड मार्क्स अधिनियम की धारा 103 के तहत आपराधिक दंड में तीन साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों शामिल हैं। व्यापार गुप्त चोरी (सामान्य कानून और अनुबंध कानून): सज़ा: व्यापार रहस्य मुख्य रूप से सामान्य कानून और संविदात्मक दायित्वों के तहत संरक्षित हैं। व्यापार रहस्य चोरी के मामले में घायल पक्ष को नागरिक उपचार, जैसे क्षति और निषेधाज्ञा, उपलब्ध हैं। कुछ परिस्थितियों में आपराधिक कार्यवाही भी शुरू की जा सकती है।
Discover clear and detailed answers to common questions about भारतीय. Learn about procedures and more in straightforward language.