भारत में विभिन्न धर्मों के जोड़ों के लिए कोर्ट मैरिज का पंजीकरण कैसे किया जाता है?

Answer By law4u team

भारत में, अलग-अलग धर्मों के जोड़ों के लिए कोर्ट मैरिज आमतौर पर विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत पंजीकृत की जाती है। यह अधिनियम उन विवाहों के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है, जहाँ युगल व्यक्तिगत धार्मिक कानूनों के तहत विवाह नहीं करना चाहते हैं। यहाँ प्रक्रिया के लिए चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका दी गई है: विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत कोर्ट मैरिज पंजीकरण के चरण इच्छित विवाह की सूचना: युगल को उस जिले के विवाह अधिकारी को विवाह करने के अपने इरादे की सूचना देनी चाहिए, जहाँ उनमें से कम से कम एक ने नोटिस की तारीख से ठीक पहले कम से कम 30 दिनों तक निवास किया हो। नोटिस को आवश्यक दस्तावेजों के साथ निर्धारित प्रपत्र (फॉर्म IV) में प्रस्तुत किया जाता है। नोटिस का प्रकाशन: विवाह अधिकारी अपने कार्यालय में एक विशिष्ट स्थान पर नोटिस प्रकाशित करता है और इसे 30 दिनों के लिए सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुला रखता है। इस अवधि के दौरान, कोई भी व्यक्ति विवाह पर आपत्ति कर सकता है यदि यह अधिनियम में निर्दिष्ट किसी भी शर्त का उल्लंघन करता है। आपत्तियाँ: यदि कोई आपत्ति उठाई जाती है, तो विवाह अधिकारी मामले की जाँच करेगा। यदि आपत्ति को बरकरार रखा जाता है, तो विवाह आगे नहीं बढ़ सकता। यदि आपत्ति खारिज हो जाती है, तो विवाह आगे बढ़ सकता है। विवाह अधिकारी के निर्णय के विरुद्ध पक्षकार 30 दिनों के भीतर जिला न्यायालय में अपील कर सकते हैं। घोषणा और अनुष्ठान: 30-दिन की नोटिस अवधि के बाद, यदि कोई आपत्ति नहीं है, तो विवाह संपन्न हो सकता है। विवाह अधिकारी की उपस्थिति में जोड़े और तीन गवाहों को एक घोषणा (निर्धारित प्रपत्र में) पर हस्ताक्षर करना चाहिए। विवाह अधिकारी के कार्यालय या उसके लिए उचित रूप से सुलभ किसी भी स्थान पर विवाह संपन्न किया जा सकता है। विवाह प्रमाण पत्र: घोषणा के बाद, विवाह अधिकारी विवाह प्रमाण पत्र जारी करता है। प्रमाण पत्र पर जोड़े, गवाहों और विवाह अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं। यह प्रमाण पत्र विवाह का निर्णायक सबूत है। आवश्यक दस्तावेज आयु का प्रमाण: जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र या पासपोर्ट। निवास का प्रमाण: राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड, बिजली बिल, आदि। वैवाहिक स्थिति का प्रमाण: यदि पहले से विवाहित हैं, तो पूर्व पति या पत्नी का तलाक का आदेश या मृत्यु प्रमाण पत्र। शपथ पत्र: वैवाहिक स्थिति, जन्म तिथि और राष्ट्रीयता की घोषणा। पासपोर्ट आकार की तस्वीरें: युगल की हाल की तस्वीरें। विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह के लिए शर्तें आयु: पुरुष की आयु कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए, और महिला की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। एक विवाह: विवाह के समय किसी भी पक्ष का कोई जीवित जीवनसाथी नहीं होना चाहिए। निषिद्ध संबंध: युगल को निषिद्ध संबंध की श्रेणी में नहीं आना चाहिए, जब तक कि उनका रिवाज इसकी अनुमति न दे। मानसिक क्षमता: दोनों पक्षों को वैध सहमति देने में सक्षम होना चाहिए और किसी भी मानसिक विकार से पीड़ित नहीं होना चाहिए जो उन्हें विवाह और संतानोत्पत्ति के लिए अयोग्य बनाता हो। कानूनी अधिकार और सुरक्षा गैर-भेदभाव: विशेष विवाह अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि अंतरधार्मिक जोड़ों के साथ उनके धर्म के आधार पर भेदभाव न किया जाए। विरासत अधिकार: ऐसे विवाहों से पैदा हुए बच्चों को वही विरासत अधिकार प्राप्त होते हैं जो व्यक्तिगत कानूनों के तहत विवाहित जोड़ों के बच्चों को प्राप्त होते हैं। इन प्रक्रियाओं का पालन करके, विभिन्न धर्मों के जोड़े कानूनी रूप से विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत अपने विवाह को पंजीकृत कर सकते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि इसे भारतीय कानून द्वारा मान्यता प्राप्त है और संरक्षित किया जाता है।

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