जब पिता की मृत्यु के बाद भाई नहीं होता है और कोई लिखित वसीयतनामा नहीं होता है, तो भाई और बहनों के बीच मालिकाना हक और पिता की जायदाद और बैंक बैलेंस पर आपत्तिपूर्वक विभाजन किया जाता है। यहां विधिक विधान देश के कानूनों और नियमों पर निर्भर करेगा, जिसे आपके प्रदेश या देश की मिट्टी में व्यवहारिकता के अनुसार देखा जाना चाहिए। अगर बड़ी बहन जायदाद या बैंक बैलेंस को नहीं देना चाहती है, तो निम्नलिखित कदम आपके विचार में मदद कर सकते हैं: समझौता: सबसे पहले, आपको बड़ी बहन के साथ संपर्क स्थापित करने और खुले मन से वार्ता करने की कोशिश करनी चाहिए। आपको अपने अधिकारों को स्पष्ट करना चाहिए और उन्हें बताना चाहिए कि आपको क्या हिस्सा चाहिए और आपके अधिकार को कैसे प्राप्त करना होगा। संगठन: यदि बहन के साथ समझौता संभव नहीं होता है, तो आपको परिवार के अन्य सदस्यों के समर्थन की तलाश करनी चाहिए। संगठित तरीके से परिवार के सदस्यों के साथ वार्ता करें और विवाद को समाधान करने की कोशिश करें। न्यायिक कार्यवाही: यदि संगठन के माध्यम से विवाद हल नहीं होता है और बड़ी बहन अपने वाद को नहीं पूरा करती है, तो आपको न्यायिक कार्यवाही का विचार करना चाहिए। आपको एक वकील से परामर्श लेना चाहिए और उन्हें आपके मामले के बारे में जानकारी देनी चाहिए। वे आपको विधिक प्रक्रिया और आपके क्षेत्र के कानून के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। याद रखें, यह सलाह शामिल है केवल सामान्य मार्गदर्शन के रूप में और आपके मामले के लिए न्यायिक निर्णय करने के लिए आपको एक प्रशासकीय वकील से परामर्श लेना सर्वोत्तम होगा।
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