भारत में, चेक बाउंस के बाद कानूनी नोटिस भेजने की समय सीमा परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 138 द्वारा नियंत्रित होती है। कानूनी नोटिस भेजने की समय सीमा: रिटर्न मेमो प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर: चेक के अनादरित (बाउंस) होने के बाद, आदाता (जिस व्यक्ति को चेक जारी किया गया था) को बैंक से चेक रिटर्न मेमो या चेक रिटर्न स्लिप प्राप्त होने की तिथि से 30 दिनों के भीतर चेक जारीकर्ता (जिस व्यक्ति ने चेक जारी किया था) को कानूनी नोटिस भेजना चाहिए। यह नोटिस चेक जारीकर्ता को सूचित करता है कि चेक अपर्याप्त धनराशि या किसी अन्य कारण से बाउंस हुआ है और चेक में उल्लिखित राशि का भुगतान करने की मांग करता है। भुगतान की समय सीमा: नोटिस भेजे जाने के बाद, चेक जारीकर्ता के पास नोटिस प्राप्त होने की तिथि से आदाता को चेक राशि का भुगतान करने के लिए 15 दिन का समय होता है। यदि भुगतान नहीं किया जाता है: यदि चेक जारीकर्ता नोटिस प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर भुगतान करने में विफल रहता है, तो भुगतानकर्ता 15-दिन की अवधि की समाप्ति से एक महीने के भीतर परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज कर सकता है। यह शिकायत मामले पर अधिकार क्षेत्र रखने वाले मजिस्ट्रेट न्यायालय में दर्ज की जा सकती है। सारांश: कानूनी नोटिस: चेक वापसी ज्ञापन की प्राप्ति से 30 दिनों के भीतर भेजा जाना चाहिए। भुगतान की समय सीमा: चेक जारीकर्ता के पास कानूनी नोटिस प्राप्त करने के बाद भुगतान करने के लिए 15 दिन का समय होता है। शिकायत दर्ज करना: यदि 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तो भुगतानकर्ता 15-दिन की अवधि की समाप्ति से एक महीने के भीतर आपराधिक शिकायत दर्ज कर सकता है। इन समय सीमाओं का सख्ती से पालन करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार समाप्त हो सकता है।
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