भारत में, बैंक ऋण न चुकाने पर संपत्ति कुर्क करने की प्रक्रिया को समय-समय परिवर्तन किया गया है और यह विभिन्न कानूनी और नीतिगत प्रावधानों पर निर्भर करता है। यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखें: 1. समय: बैंक संपत्ति कुर्क करने के लिए, बैंक द्वारा आमतौर पर लोन की अवधि का पूरा होना आवश्यक होता है। यदि ऋणदाता ऋण के लिए समय-सीमा के भीतर चुकाने में असमर्थ होता है, तो बैंक कुर्क की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। 2. कानूनी नोटिस: बैंक द्वारा कुर्क की प्रक्रिया शुरू करने से पहले, उसे कानूनी नोटिस जारी करना होता है। इस नोटिस में, लोनदाता को एक निश्चित समय-सीमा दी जाती है जिसमें वह ऋण चुकाने या विवाद को संबंधित अदालत में संयोजित करने के लिए निर्देशित किया जाता है। 3. विवाद की सुनवाई: नोटिस के द्वारा निर्धारित समय-सीमा के बाद, लोनदाता द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, और यदि ऋण चुक ाने के लिए भुगतान नहीं किया जाता है, तो बैंक कुर्क की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। 4. कुर्क प्रक्रिया: कुर्क की प्रक्रिया में, बैंक द्वारा कुर्क प्रशासनिक एवं कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है। इसमें बैंक विभिन्न दस्तावेज़, विज्ञापन, आवेदन पत्र और नीलामी के माध्यम से संपत्ति को बेचता है और उसका बकाया राशि प्राप्त करता है। उपरोक्त जानकारी सामान्य दिशा-निर्देश है और आपके बैंक और उचित कानूनी परामर्शक से संपर्क करके विवरण की जांच करने की सलाह दी जाती है।
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