भारत में वसूली के लिए आवश्यक दस्तावेज ऋण की प्रकृति और राशि के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। हालांकि, वसूली के लिए आवश्यक कुछ सामान्य दस्तावेज हैं: डिमांड नोटिस: एक डिमांड नोटिस आमतौर पर देनदार को बकाया कर्ज के भुगतान की मांग के लिए भेजा जाता है। इस नोटिस में ऋण का विवरण शामिल होना चाहिए, जैसे कि बकाया राशि, ऋण की तिथि, और कोई भी ब्याज या दंड जो अर्जित हुआ हो। अनुबंध या समझौता: यदि ऋण अनुबंध या समझौते पर आधारित है, तो मूल अनुबंध या समझौते को साक्ष्य के रूप में पेश करने की आवश्यकता होगी। चालान और बिल: यदि ऋण प्रदान की गई वस्तुओं या सेवाओं पर आधारित है, तो प्रदान की गई वस्तुओं या सेवाओं का विवरण देने वाले चालान और बिलों को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। प्रॉमिसरी नोट्स या चेक: यदि ऋण प्रॉमिसरी नोट्स या चेक पर आधारित है, तो मूल दस्तावेजों को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। बैंक विवरण: यदि ऋण का भुगतान चेक या बैंक हस्तांतरण द्वारा किया गया है, तो धन के हस्तांतरण को दर्शाने वाले बैंक विवरण की आवश्यकता हो सकती है। मुख्तारनामा: यदि वसूली की कार्यवाही एक वकील या एक वसूली एजेंट द्वारा की जा रही है, तो लेनदार की ओर से कार्य करने के लिए उन्हें अधिकृत करने के लिए मुख्तारनामा की आवश्यकता हो सकती है। कोई अन्य प्रासंगिक दस्तावेज़: कोई अन्य प्रासंगिक दस्तावेज़ जो लेनदार के दावे का समर्थन करता है, जैसे कि पार्टियों के बीच पत्राचार, रसीदें, या वितरण नोट, को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वसूली के लिए आवश्यक दस्तावेज विशिष्ट मामले के आधार पर भिन्न हो सकते हैं और आपके मामले के लिए आवश्यक विशिष्ट दस्तावेजों पर मार्गदर्शन के लिए वकील से परामर्श करना उचित है।
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