Answer By law4u team
भारतीय सिविल न्यायालय में दायर उत्तराधिकार प्रमाणपत्र याचिका का प्रारूप आमतौर पर स्पष्टता और पूर्णता सुनिश्चित करने के लिए एक निर्धारित संरचना का पालन करता है। यद्यपि राज्य या न्यायालय के नियमों के आधार पर सटीक प्रारूप थोड़ा भिन्न हो सकता है, लेकिन आवश्यक सामग्री सुसंगत रहती है। यहाँ उत्तराधिकार प्रमाणपत्र याचिका के लिए विस्तृत और आम तौर पर स्वीकृत प्रारूप दिया गया है: \[न्यायालय का नाम] \[स्थान] पर याचिका संख्या \_\_ का \[वर्ष] निम्नलिखित के मामले में: भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 की धारा 372 के तहत उत्तराधिकार प्रमाणपत्र याचिका के बीच: \[याचिकाकर्ता का नाम] \[याचिकाकर्ता का पता] ...याचिकाकर्ता और \[अन्य इच्छुक पक्षों के नाम, यदि कोई हो] \[पता(एँ)] ...प्रतिवादी(एँ) उत्तराधिकार प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए याचिका 1. कि याचिकाकर्ता मृतक का रिश्तेदार है, जैसे बेटा/बेटी/कानूनी वारिस] मृतक का पूरा नाम जिसकी मृत्यु दिनांक को स्थान पर हुई। 2. कि मृतक मृत्यु के समय मृतक के पते पर निवास कर रहा था। 3. कि याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया है कि मृतक ने अपने पीछे कर्ज और प्रतिभूतियाँ छोड़ी हैं, जिनमें सरकारी बांड, शेयर, बैंक बैलेंस, ऋण आदि शामिल हैं। 4. कि याचिकाकर्ता मृतक के कानूनी प्रतिनिधि/उत्तराधिकारी के रूप में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र का हकदार है। 5. कि मृतक द्वारा संपत्ति का प्रबंधन करने के लिए कोई वसीयत या अन्य वसीयतनामा दस्तावेज नहीं छोड़ा गया है। 6. कि याचिकाकर्ता ने उचित जांच की है और उसे किसी अन्य व्यक्ति के बारे में जानकारी नहीं है जो उक्त कर्ज और प्रतिभूतियों का हकदार है। 7. कि याचिकाकर्ता ने उचित जांच की है और उसे किसी अन्य व्यक्ति के बारे में जानकारी नहीं है जो उक्त कर्ज और प्रतिभूतियों का हकदार है। याचिकाकर्ता न्यायालय से अनुरोध करता है कि वह उसके पक्ष में उत्तराधिकार प्रमाणपत्र जारी करे, ताकि याचिकाकर्ता ऊपर उल्लिखित ऋण और प्रतिभूतियों को प्राप्त कर सके। संलग्न दस्तावेजों की सूची: मृतक का मृत्यु प्रमाणपत्र याचिकाकर्ता का हलफनामा ऋण/प्रतिभूतियों को दर्शाने वाले प्रासंगिक दस्तावेजों की प्रतियां याचिकाकर्ता का पहचान प्रमाण अन्य सहायक दस्तावेज प्रार्थना इसलिए, यह प्रार्थना की जाती है कि यह माननीय न्यायालय निम्न कार्य करने की कृपा करे: मृतक \[नाम] द्वारा छोड़े गए ऋणों और प्रतिभूतियों के लिए याचिकाकर्ता के पक्ष में उत्तराधिकार प्रमाणपत्र प्रदान करें। न्याय के हित में उचित समझे जाने वाले अन्य आदेश पारित करें। स्थान: \[शहर] तारीख: \[दाखिल करने की तिथि] याचिकाकर्ता के हस्ताक्षर (नाम और हस्ताक्षर) सत्यापन मैं, \[याचिकाकर्ता का नाम], ऊपर नामित याचिकाकर्ता, यह सत्यापित करता हूँ कि इस याचिका की सामग्री मेरे सर्वोत्तम ज्ञान और विश्वास के अनुसार सत्य और सही है, और इसमें कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं छिपाया गया है। इस \[तारीख] को \[स्थान] पर सत्यापित किया गया। (याचिकाकर्ता के हस्ताक्षर) नोट: याचिका निर्धारित न्यायालय शुल्क स्टाम्प के साथ दायर की जानी चाहिए। देरी से बचने के लिए सभी प्रासंगिक दस्तावेज़ संलग्न करें। मसौदा तैयार करने और दाखिल करने के लिए वकील से परामर्श करना उचित है। यह प्रारूप भारत में उत्तराधिकार प्रमाणपत्र याचिका के मूल और आवश्यक भागों को शामिल करता है।