सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 में द्वितीय अपील, आवेदक के लिए उपलब्ध एक कानूनी उपाय है, जब वे आरटीआई अनुरोध के संबंध में प्रथम अपीलीय प्राधिकरण (एफएए) के निर्णय से असंतुष्ट होते हैं। यहाँ एक विस्तृत विवरण दिया गया है: 1. द्वितीय अपील कब दायर की जाती है? यदि आवेदक प्रथम अपीलीय प्राधिकरण के निर्णय से संतुष्ट नहीं है - उदाहरण के लिए, यदि सूचना अभी भी अस्वीकृत, अपूर्ण या विलंबित है - तो वे द्वितीय अपील दायर कर सकते हैं। द्वितीय अपील प्रथम अपील उपाय समाप्त होने के बाद दायर की जाती है। 2. द्वितीय अपील कहाँ दायर करें? द्वितीय अपील केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) या राज्य सूचना आयोग (एसआईसी) के समक्ष दायर की जाती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि सार्वजनिक प्राधिकरण केंद्र या राज्य सरकार के अंतर्गत आता है या नहीं। --- 3. समय सीमा द्वितीय अपील प्रथम अपीलीय प्राधिकारी का निर्णय प्राप्त होने की तिथि से 90 दिनों के भीतर दायर की जानी चाहिए। 4. सूचना आयोग की शक्तियाँ सूचना आयोग निम्न कार्य कर सकता है: जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) को अनुरोधित सूचना उपलब्ध कराने का आदेश दे सकता है। गैर-अनुपालन या देरी के लिए पीआईओ पर दंड लगा सकता है। आरटीआई अधिनियम का अनुपालन करने में विफल रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश कर सकता है। भविष्य में अनुपालन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दे सकता है। 5. द्वितीय अपील का महत्व द्वितीय अपील न्यायिक उपचार से पहले आरटीआई अधिनियम के तहत विवाद समाधान के लिए एक अंतिम मंच प्रदान करती है। यह सार्वजनिक प्राधिकरणों को जवाबदेह बनाकर पारदर्शिता व्यवस्था को मजबूत करती है। सारांश: आरटीआई में दूसरी अपील केंद्रीय या राज्य सूचना आयोग के समक्ष उठाया गया कानूनी कदम है, यदि आवेदक प्रथम अपीलीय प्राधिकरण के निर्णय से असंतुष्ट है, जो सूचना प्राप्त करने और आरटीआई अधिनियम के अनुपालन को सुनिश्चित करने का अंतिम अवसर प्रदान करता है।
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