यदि दोनों अपीलें भारतीय कानून (विशेष रूप से सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005) के तहत सूचना देने में विफल रहती हैं, तो निम्नांकित स्थिति होगी: 1. प्रथम अपील विफल: यदि कोई नागरिक आरटीआई अधिनियम की धारा 19(1) के तहत प्रथम अपील (प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष) दायर करता है और 30 दिनों के भीतर कोई संतोषजनक उत्तर प्राप्त नहीं होता है, या उत्तर असंतोषजनक होता है, तो नागरिक को धारा 19(3) के तहत द्वितीय अपील दायर करने का अधिकार है। 2. द्वितीय अपील विफल: यदि द्वितीय अपील (केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) या राज्य सूचना आयोग (एसआईसी) के समक्ष) भी उचित राहत प्रदान करने में विफल रहती है या आयोग जवाब नहीं देता है, तो नागरिक निम्नानुसार आगे बढ़ सकता है: 3. दूसरी अपील विफल होने के बाद उपाय: सूचना आयोग में शिकायत (धारा 18): सीआईसी/एसआईसी के समक्ष सीधी शिकायत दर्ज की जा सकती है यदि: कोई जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) नियुक्त नहीं किया गया हो। पीआईओ आवेदन स्वीकार करने से इनकार कर दे। झूठी, भ्रामक, अधूरी या कोई जानकारी नहीं दी गई हो। अनुचित शुल्क लिया गया हो। रिट याचिका: यदि नागरिक को लगता है कि सीआईसी/एसआईसी का निर्णय अन्यायपूर्ण है या आयोग ने कार्रवाई करने में विफल रहा है, तो अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय के समक्ष) या अनुच्छेद 32 (यदि मौलिक अधिकार शामिल हैं तो सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष) के तहत रिट याचिका दायर की जा सकती है। न्यायालय अधिकारियों को सूचना प्रदान करने या कार्रवाई करने के लिए बाध्य कर सकते हैं। अवमानना या दंडात्मक कार्यवाही: आप सीआईसी/एसआईसी से पीआईओ के खिलाफ आरटीआई अधिनियम की धारा 20 के तहत दंडात्मक कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध कर सकते हैं: आवेदन स्वीकार करने से इनकार करना सूचना प्रदान करने में देरी करना गलत या भ्रामक जानकारी प्रदान करना सारांश: यदि दोनों अपीलें विफल हो जाती हैं: सीआईसी/एसआईसी के समक्ष धारा 18 के तहत शिकायत दर्ज करें। धारा 20 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की मांग करें। यदि कोई उपाय प्रदान नहीं किया जाता है तो रिट याचिका के माध्यम से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएं।
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