हाँ, भारतीय कानून के तहत किसी अस्पताल पर उसके कर्मचारियों या नर्सों द्वारा लापरवाही के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है, अगर अस्पताल की कार्रवाइयों या चूक के कारण उन्हें नुकसान, हानि या उनके कानूनी अधिकारों का उल्लंघन होता है। कानूनी आधार: 1. रोजगार संबंधी लापरवाही - अगर कोई अस्पताल: सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करने में विफल रहता है, सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं करता है (जैसे, कोविड वार्ड, ऑपरेशन थिएटर में), या श्रम कानूनों का उल्लंघन करता है, तो कर्मचारी (नर्स, तकनीशियन आदि सहित) मुआवजे के लिए शिकायत या सिविल मुकदमा दायर कर सकते हैं। 2. कर्मचारियों को नुकसान पहुँचाने वाली चिकित्सा लापरवाही - अगर लापरवाह व्यवहार (जैसे, अनुचित नसबंदी, दोषपूर्ण उपकरण) कर्मचारियों को चोट या संक्रमण का कारण बनते हैं, तो अस्पताल को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। 3. अनुबंध या श्रम विवाद – यदि रोजगार की शर्तों का उल्लंघन किया जाता है, तो कर्मचारी निम्न कर सकते हैं: श्रम आयुक्त के पास शिकायत दर्ज करें श्रम न्यायालय या औद्योगिक न्यायाधिकरण से संपर्क करें सिविल मुकदमा दायर करें (यदि लागू हो) 4. उत्पीड़न या गैरकानूनी बर्खास्तगी – नर्स या कर्मचारी निम्न से संपर्क कर सकते हैं: श्रम न्यायालय (गलत बर्खास्तगी के लिए) आंतरिक शिकायत समिति (यौन उत्पीड़न के लिए) सिविल या आपराधिक न्यायालय (मानहानि, उत्पीड़न के लिए) कानूनी उपाय: शारीरिक/मानसिक पीड़ा के लिए मुआवज़ा बहाली (अवैध बर्खास्तगी के मामले में) टोर्ट कानून या श्रम कानून के तहत हर्जाना प्रासंगिक कानून: भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 कर्मचारी मुआवज़ा अधिनियम, 1923 औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 श्रम संहिता (2020) आईपीसी ( आपराधिक लापरवाही का मामला) निष्कर्ष: हां, यदि अस्पताल की कार्रवाइयों या विफलताओं के कारण लापरवाही, अधिकारों का उल्लंघन, या नुकसान होता है, तो अस्पताल को अपने स्वयं के कर्मचारियों, जिसमें नर्सें भी शामिल हैं, द्वारा कानूनी रूप से उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
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