Answer By law4u team
नहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित जानकारी आम तौर पर भारतीय कानून के तहत प्रकट नहीं की जा सकती। मुख्य कानूनी प्रावधान: सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(ए) ऐसी जानकारी के प्रकटीकरण से छूट देता है जो: भारत की संप्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचाती हो, राज्य की सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हित, विदेशी राज्यों के साथ संबंध, या किसी अपराध को बढ़ावा देती हो। आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 रक्षा, सैन्य अभियानों, खुफिया जानकारी आदि से संबंधित वर्गीकृत दस्तावेजों के प्रकटीकरण पर रोक लगाता है। ऐसी जानकारी साझा करने पर कारावास की सजा हो सकती है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 - धारा 123 राज्य के मामलों से संबंधित अप्रकाशित आधिकारिक अभिलेखों को सरकार की अनुमति के बिना अदालत में प्रकट किए जाने से बचाता है। अपवाद (दुर्लभ मामले): यदि सूचना राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा नहीं पहुँचाती है तथा व्यापक जनहित को पूरा करती है, तो केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (CPIO) या अपीलीय अधिकारी RTI के तहत प्रकटीकरण की अनुमति दे सकते हैं, लेकिन केवल उचित मूल्यांकन के बाद। सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट भी न्याय के लिए आवश्यक होने पर सुनवाई के दौरान बंद कमरे में (निजी तौर पर) ऐसी सूचना प्राप्त कर सकते हैं। निष्कर्ष: राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित सूचना आम तौर पर संरक्षित होती है तथा इसे जनता के समक्ष प्रकट नहीं किया जा सकता, जब तक कि प्रकटीकरण सार्वजनिक हित द्वारा उचित न हो तथा सक्षम प्राधिकारी या न्यायालयों द्वारा इसकी अनुमति न दी गई हो।