क्या उपचार से इनकार करना लापरवाही माना जा सकता है?

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Answer By law4u team

हाँ, चिकित्सा उपचार से इनकार करना भारतीय कानून के तहत लापरवाही माना जा सकता है, खासकर अगर इससे मरीज को नुकसान, चोट या मौत हो जाती है। कानूनी आधार: भारतीय चिकित्सा परिषद (पेशेवर आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम, 2002 - विनियम 2.1.1 यह अनिवार्य करता है कि प्रत्येक डॉक्टर को आपातकालीन देखभाल प्रदान करनी चाहिए और मनमाने ढंग से उपचार से इनकार नहीं करना चाहिए। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 - अगर उपचार से इनकार करने से नुकसान होता है तो मरीज अस्पताल या डॉक्टरों पर चिकित्सा लापरवाही के लिए मुकदमा कर सकते हैं। मुआवज़ा दिया जा सकता है। संवैधानिक संरक्षण - अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) में समय पर चिकित्सा उपचार का अधिकार शामिल है। परमानंद कटारा बनाम भारत संघ (1989) में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि डॉक्टरों को आपातकालीन देखभाल से इनकार नहीं करना चाहिए। आपराधिक दायित्व – यदि उपचार से इनकार करने से मृत्यु या गंभीर नुकसान होता है, तो आपराधिक आरोप निम्न के अंतर्गत लागू हो सकते हैं: धारा 304A IPC – लापरवाही से मृत्यु का कारण बनना धारा 336–338 IPC – जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्य लापरवाही के रूप में मानी जाने वाली स्थितियाँ: आपातकालीन उपचार से इनकार करना तत्काल मामलों में भुगतान न करने के कारण देखभाल से इनकार करना उपचार में देरी से स्थिति बिगड़ना भेदभाव आधारित इनकार (जैसे, जाति, धर्म, लिंग) अपवाद: यदि अस्पताल में आवश्यक सुविधाओं का अभाव है, तो वह मरीज को कहीं और रेफर कर सकता है, लेकिन रेफरल या आपातकालीन सहायता के बिना इनकार करना स्वीकार्य नहीं है। निष्कर्ष: हां, उपचार से इनकार करना, विशेष रूप से आपात स्थिति में, भारत में चिकित्सकीय लापरवाही माना जाता है और इससे अस्पताल या चिकित्सा कर्मचारियों के लिए दीवानी, आपराधिक और संवैधानिक परिणाम हो सकते हैं।

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