Answer By law4u team
नहीं, भारतीय कानून के तहत एक ही संपत्ति या ऋण के लिए दो उत्तराधिकार प्रमाणपत्र जारी नहीं किए जा सकते। कानूनी स्थिति: भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 के तहत, विशेष रूप से: धारा 374: किसी मृत व्यक्ति के ऋणों या प्रतिभूतियों के लिए केवल एक वैध उत्तराधिकार प्रमाणपत्र जारी किया जा सकता है। यदि एक प्रमाणपत्र पहले से मौजूद है, तो उसी संपत्ति के लिए दूसरा प्रमाणपत्र तब तक जारी नहीं किया जा सकता जब तक कि पहला प्रमाणपत्र रद्द न कर दिया जाए। यदि दो प्रमाणपत्र जारी किए जाते हैं तो क्या होगा? दूसरा प्रमाणपत्र अमान्य और शून्य है, जब तक कि पहले वाले को अधिनियम की धारा 383 के तहत कानूनी रूप से रद्द न कर दिया जाए। एक ही संपत्ति या परिसंपत्तियों पर परस्पर विरोधी दावों से बचने के लिए अदालतें इसे बहुत गंभीरता से लेती हैं। यदि कोई विवाद या चूक हो: यदि किसी व्यक्ति को मूल प्रमाणपत्र से बहिष्कृत या वंचित कर दिया गया है: 1. वे इसे अदालत में चुनौती दे सकते हैं। 2. धारा 383 के तहत पहले वाले प्रमाणपत्र को रद्द करने के लिए याचिका दायर करें, जिसमें निम्नलिखित का हवाला दिया गया हो: धोखाधड़ी या गलत बयानी अन्य कानूनी उत्तराधिकारियों को दबाना नए तथ्य या उत्तराधिकारियों की खोज दोहराव को रोकने के लिए: एक ही ऋण या संपत्ति पर कई लोगों का दावा करने से बचें तीसरे पक्ष (बैंक, बीमा, नियोक्ता) को राशि वितरित करते समय देयता से बचाएं अदालती मिसालें: अदालतों ने बार-बार माना है कि एक ही संपत्ति/संपत्ति के लिए लगातार प्रमाणपत्र एक साथ नहीं रह सकते। एक को रद्द या प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए, उसके बाद ही दूसरा जारी किया जा सकता है। निष्कर्ष: नहीं, एक ही संपत्ति या ऋण के लिए दो उत्तराधिकार प्रमाणपत्र कानूनी रूप से मान्य नहीं हो सकते। यदि दूसरे प्रमाणपत्र की आवश्यकता है, तो पहले प्रमाणपत्र को न्यायालय के आदेश द्वारा रद्द किया जाना चाहिए।