एक अनंतिम पेटेंट आवेदन एक अस्थायी आवेदन होता है जो किसी आविष्कार के लिए दाखिल करने की तिथि सुनिश्चित करने हेतु पेटेंट कार्यालय में दायर किया जाता है। यह पूर्ण (गैर-अनंतिम) पेटेंट आवेदन प्रस्तुत करने से पहले पेटेंट कार्यालय में दाखिल किया जाता है। इससे पेटेंट स्वीकृत नहीं होता, बल्कि आविष्कारक के लिए अपने आविष्कार पर शीघ्र दावा स्थापित करने हेतु एक आधारशिला के रूप में कार्य करता है। अनंतिम पेटेंट आवेदन की मुख्य विशेषताएँ (भारतीय संदर्भ में): 1. उद्देश्य: यह आविष्कारक को अपने आविष्कार के लिए एक शीघ्र प्राथमिकता तिथि स्थापित करने में मदद करता है, जो मौलिकता या अधिकारों पर विवाद की स्थिति में महत्वपूर्ण हो सकती है। 2. औपचारिक पेटेंट दावों की आवश्यकता नहीं: पूर्ण पेटेंट आवेदन के विपरीत, अनंतिम आवेदन के लिए विस्तृत दावों की आवश्यकता नहीं होती। इसमें केवल आविष्कार का उचित विवरण आवश्यक होता है। 3. वैधता अवधि: अनंतिम आवेदन दाखिल करने की तिथि से 12 महीने के लिए वैध होता है। इस अवधि के दौरान, आविष्कारक को पेटेंट प्रक्रिया जारी रखने के लिए पूर्ण विनिर्देश (गैर-अनंतिम आवेदन) दाखिल करना होगा। 4. लागत-प्रभावी: यह आम तौर पर सस्ता होता है और पूर्ण आवेदन की तुलना में कम औपचारिकता की आवश्यकता होती है, जिससे यह शुरुआती चरणों में आविष्कारकों या स्टार्टअप्स के लिए उपयुक्त हो जाता है। 5. "पेटेंट लंबित" स्थिति: एक बार आवेदन दाखिल करने के बाद, आविष्कारक दूसरों को यह सूचित करने के लिए कानूनी रूप से "पेटेंट लंबित" शब्द का उपयोग कर सकता है कि उसका आविष्कार पेटेंट के लिए विचाराधीन है। 6. जांच नहीं होती: भारतीय पेटेंट कार्यालय अनंतिम आवेदनों की जांच नहीं करता। जांच पूर्ण विनिर्देश दाखिल करने के बाद ही शुरू होती है। 7. कोई विस्तार नहीं: 12 महीने की समय सीमा बढ़ाई नहीं जा सकती। इस समय सीमा के भीतर पूर्ण विनिर्देश दाखिल न करने पर अनंतिम आवेदन त्याग दिया जाता है। भारत में कानूनी आधार: भारतीय पेटेंट अधिनियम, 1970 के अंतर्गत, अनंतिम विनिर्देशन की अवधारणा को मान्यता प्राप्त है। विशेष रूप से: पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 9 अनंतिम और पूर्ण विनिर्देशनों से संबंधित है। अनंतिम चरण में दावों की कोई आवश्यकता नहीं है। प्राथमिकता तिथि अनंतिम आवेदन दाखिल करने की तिथि है। अनंतिम आवेदन का उपयोग क्यों करें? जब आविष्कार अभी भी विकसित हो रहा हो, तब शीघ्र दाखिल करने की तिथि सुनिश्चित करने के लिए। पूर्ण आवेदन में निवेश करने से पहले आविष्कार की व्यावसायिक व्यवहार्यता का परीक्षण करने के लिए। पूर्ण विनिर्देशन तैयार करने के लिए समय प्राप्त करने के लिए। आविष्कार की सुरक्षा करते हुए वित्त पोषण या व्यावसायिक सौदे प्राप्त करने के लिए।
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