भारत में एक वैध वसीयत के लिए, कानून के अनुसार वसीयतकर्ता (वसीयत बनाने वाला व्यक्ति) द्वारा वसीयत पर हस्ताक्षर या स्वीकृति के समय कम से कम दो गवाहों की उपस्थिति अनिवार्य है। यहाँ एक विस्तृत विवरण दिया गया है: आवश्यक गवाहों की संख्या न्यूनतम दो गवाह: भारतीय कानून के अनुसार, वसीयतकर्ता द्वारा कम से कम दो गवाहों की उपस्थिति में वसीयत पर हस्ताक्षर या स्वीकृति अनिवार्य है। इन गवाहों को यह पुष्टि करने के लिए वसीयत पर हस्ताक्षर भी करने होंगे कि उन्होंने वसीयतकर्ता को हस्ताक्षर करते देखा है या वसीयतकर्ता को हस्ताक्षर या वसीयत को स्वीकार करते सुना है। गवाहों की भूमिका और पात्रता गवाहों का उपस्थित होना अनिवार्य है: वसीयतकर्ता द्वारा वसीयत पर हस्ताक्षर या स्वीकृति के समय दोनों गवाहों का एक साथ शारीरिक रूप से उपस्थित होना आवश्यक है। गवाहों की क्षमता: वे वयस्क और स्वस्थ मानसिक रूप से स्वस्थ होने चाहिए। निष्पक्ष गवाह: वसीयत के तहत गवाहों को लाभार्थी नहीं होना चाहिए, क्योंकि अगर उन्हें लाभ होता है तो उनकी गवाही को चुनौती दी जा सकती है या अयोग्य ठहराया जा सकता है। गवाह वसीयत की प्रामाणिकता की पुष्टि करते हैं और धोखाधड़ी या ज़बरदस्ती के दावों को रोकने में मदद करते हैं। कानूनी आधार यह आवश्यकता भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 से ली गई है, जो भारत के अधिकांश हिस्सों में वसीयतों को नियंत्रित करता है। कानून यह सुनिश्चित करता है कि वसीयत का निष्पादन धोखाधड़ी या अनुचित प्रभाव से मुक्त हो। सारांश वसीयत को वैध बनाने के लिए कम से कम दो गवाहों का होना आवश्यक है। हस्ताक्षर या पावती के समय उनका उपस्थित होना अनिवार्य है। वसीयतकर्ता के कार्यों की पुष्टि के लिए उन्हें वसीयत पर हस्ताक्षर करना होगा।
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