Answer By law4u team
मानव अधिकार और कानूनी तंत्र के अनुसार, एक व्यक्ति द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति के प्रति मानसिक या भावनात्मक टॉर्चर करना गलत होता है। यह किसी की आत्मा और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और किसी व्यक्ति की खुदरा सुरक्षा पर बुरा असर डाल सकता है। भारतीय कानून में, ऐसे मानसिक टॉर्चर को रोकने के लिए कई कानूनी उपाय हो सकते हैं, जिनमें से कुछ हैं: भारतीय दंड संहिता, 1860: यह धारा 498 (ए) और 498 (ब) के तहत आती है, जो किसी स्त्री को उसके पति या पति के परिवारजनों द्वारा मानसिक या भावनात्मक तौर पर परेशान करने पर कार्रवाई की जा सकती है। सेक्शन 354 (डी) और 509: यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के साथ मानसिक तौर पर अवांछित संवाद करता है जिससे उसकी भावनाओं को ठेस पहुंचती है, तो धारा 354 (डी) और 509 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। सेक्शन 509: यह सेक्शन भी एक व्यक्ति द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति के प्रति भावनात्मक तौर पर अवांछित संवाद करने पर कार्रवाई के लिए प्रावधान करता है। कृपया ध्यान दें कि कानूनी प्रावधान बदल सकते हैं और यह केवल सामान्य मार्गदर्शन है। यदि आपको ऐसे किसी मामले का सामर्थ्य है, तो आपको किसी वकील से सलाह लेना चाहिए।