Answer By law4u team
चेक बाउंस (Cheque Bounce) किसी व्यक्ति द्वारा दिए गए चेक की भुगतान नहीं होने की स्थिति है जब चेक बैंक में प्रस्तुत किया जाता है और वह बैंक द्वारा प्राप्त नहीं किया जाता है। इसके तहत, व्यक्ति जिसने चेक दिया है और उसके द्वारा जो व्यक्ति चेक प्राप्त करने वाला है, उनके बीच कोई समझौता नहीं होने पर चेक बाउंस मामला बनता है। चेक बाउंस होने पर निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं: समझौता की कोशिश करें: पहले स्थितियों में, चेक बाउंस होने पर चेक देने वाले व्यक्ति से समझौता करने की कोशिश की जा सकती है। समय-समय पर, चेक देने वाले व्यक्ति किसी अच्छे आदर्श के आधार पर चेक की रकम को चुकता कर सकता है। चेक बैंक में पुनः प्रस्तुत करें: यदि चेक बाउंस हो जाता है, तो चेक धारा 138 के तहत आता है। इसमें चेक देने वाले व्यक्ति को दोबारा चेक को बैंक में प्रस्तुत करने की अनुमति होती है। कानूनी कदम उठाएं: यदि चेक बाउंस होने के बावजूद भी व्यक्ति को चेक की भुगतान नहीं मिलती है, तो उसे कानूनी कदम उठाने का अधिकार होता है। चेक धारा 138 के तहत, चेक देने वाले व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। चेक धारा 138 (Negotiable Instruments Act, 1881): भारतीय कानून में, चेक बाउंस होने पर चेक धारा 138 के तहत आता है। यह धारा चेक पर होने वाले मुकदमों के लिए प्राथमिकता देती है और उन्हें तय करने में सहायता करती है। धारा 138 के तहत, चेक बाउंस होने पर व्यक्ति को दंडित किया जा सकता है, जिसमें जुर्माना और कारावासी दंड शामिल हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि यह कानूनी सलाह नहीं है और यह आपके स्थिति और क्षेत्र के आधार पर बदल सकती है। आपको किसी प्राधिकृत वकील से सलाह प्राप्त करने की सिफारिश की जाती है जब भी आप चेक बाउंस होने के मामले में हैं।