Answer By law4u team
भारत में, तलाक के आधार जोड़े पर लागू व्यक्तिगत कानूनों के आधार पर अलग-अलग होते हैं। हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक और संचारी रोगों से संबंधित कुछ सामान्य पहलू यहां दिए गए हैं: तलाक के लिए आधार के रूप में कुष्ठ रोग: हिंदू विवाह अधिनियम में तलाक के आधार के रूप में "संचारी रूप में यौन रोग" शामिल है। इसमें कुष्ठ रोग जैसी स्थितियां शामिल हो सकती हैं। क्रूरता और अन्य आधार: बीमारियों से संबंधित विशिष्ट प्रावधानों के अलावा, क्रूरता तलाक के लिए आमतौर पर उद्धृत आधार है। यदि किसी संक्रामक रोग के परिणामस्वरूप दूसरे पति या पत्नी के लिए क्रूरता या असहनीय स्थिति उत्पन्न होती है, तो इसे तलाक मांगने का एक वैध कारण माना जा सकता है। मेडिकल रिपोर्ट और साक्ष्य: ऐसे मामलों में जहां किसी संचारी रोग को तलाक के लिए आधार के रूप में उद्धृत किया जा रहा है, विवाह पर बीमारी के अस्तित्व और प्रभाव को स्थापित करने के लिए चिकित्सा रिपोर्ट और विशेषज्ञ गवाही की आवश्यकता हो सकती है। कानूनी परामर्श: आपके मामले पर लागू विशिष्ट प्रावधानों को समझने के लिए पारिवारिक कानून में विशेषज्ञता रखने वाले वकील से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। पारिवारिक कानून जटिल हो सकता है, और कानूनी पेशेवर आपको प्रक्रिया के माध्यम से मार्गदर्शन कर सकते हैं और वर्तमान कानूनी ढांचे के आधार पर सलाह प्रदान कर सकते हैं। याद रखें कि कानून बदल सकते हैं, और कानूनी व्याख्याएँ भिन्न हो सकती हैं। किसी कानूनी पेशेवर से सलाह लेने की अनुशंसा की जाती है जो आपकी स्थिति की विशिष्टताओं का आकलन कर सकता है और तदनुसार मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है।