Answer By law4u team
SARFAESI अधिनियम (वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002) भारत में ऋण वसूली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, खास तौर पर बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए। इसका प्राथमिक उद्देश्य न्यायालयों के हस्तक्षेप के बिना प्रतिभूति हितों के प्रवर्तन के लिए एक तंत्र प्रदान करना है, जिससे गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की त्वरित वसूली सुनिश्चित हो सके। मुख्य प्रावधानों में शामिल हैं: सुरक्षा हित का प्रवर्तन: यह अधिनियम बैंकों और वित्तीय संस्थानों को संपार्श्विक परिसंपत्तियों (जैसे संपत्ति) पर कब्जा करने की अनुमति देता है, जब कोई उधारकर्ता ऋण पर चूक करता है। यह न्यायालय में जाए बिना, डिमांड नोटिस और उसके बाद कब्जे के नोटिस के माध्यम से किया जा सकता है। प्रतिभूतिकरण और परिसंपत्ति पुनर्निर्माण: SARFAESI अधिनियम वित्तीय परिसंपत्तियों के प्रतिभूतिकरण की सुविधा प्रदान करता है, जिससे बैंकों को बकाया की वसूली के लिए अपनी संकटग्रस्त परिसंपत्तियों को परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (ARCs) को बेचने या स्थानांतरित करने की अनुमति मिलती है। वसूली की शक्ति: बैंक जब्त की गई संपत्तियों की नीलामी कर सकते हैं या उन्हें अधिनियम के तहत निर्दिष्ट तरीके से बेच सकते हैं, जो वसूली प्रक्रिया को सरल और तेज बनाता है। यह उन्हें इस उद्देश्य के लिए वसूली एजेंट नियुक्त करने का भी अधिकार देता है। न्यायालय का हस्तक्षेप नहीं: यह न्यायिक प्रणाली के बाहर ऋण वसूली के मुद्दों को हल करने के लिए एक तंत्र प्रदान करता है, हालांकि उधारकर्ता यदि आवश्यक हो तो ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT) में प्रक्रिया को चुनौती दे सकते हैं। संक्षेप में, SARFAESI अधिनियम बैंकों और वित्तीय संस्थानों को सुरक्षा हितों को लागू करके और वसूली प्रक्रिया में देरी को कम करके कुशलतापूर्वक ऋण वसूलने का अधिकार देता है।