भारत में बाल श्रम के खिलाफ कानूनी प्रावधान बच्चों की सुरक्षा के लिए किए गए हैं। बाल श्रम से संबंधित कई कानूनी धाराएं और सजाएं हैं जो बच्चों की सुरक्षा और रक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई हैं। सबसे महत्वपूर्ण कानून जो बाल श्रम के खिलाफ धारा और सजा निर्धारित करते हैं वे हैं: बाल श्रम (प्रतिबंध अधिनियम) 1986: यह कानून भारत में बाल श्रम को रोकने और इसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बनाया गया है। इसमें अधिकारी अधिकारियों और व्यवस्थाओं को शिकायतों के विचाराधीन करने के लिए प्राधिकार भी प्रदान किया गया है। भारतीय दण्ड संहिता 1860: इसमें बाल श्रम से जुड़े अपराधों के लिए धारा 370-374 में जुर्माना और सजा का प्रावधान किया गया है। अनुशासनविरूद्ध कार्य से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 1986: इस अधिनियम के तहत अशिक्षित बालकों के खिलाफ अनुशासनविरूद्ध कार्यों को रोकने के लिए सजाएं और धाराएं निर्धारित की गई हैं। बाल विकास न्यायाधिकरण (प्राधिकार) अधिनियम 1995: यह अधिनियम बच्चों के राज्य स्तर पर उनके हकों की सुरक्षा के लिए न्यायाधिकरण का स्थापना करने के लिए बनाया गया है। बाल श्रम के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए, बच्चों या उनके अभिभावकों को अपने स्थानीय न्यायिक अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए। वे बाल श्रम से जुड़े अपराध के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं और उचित न्याय की मांग कर सकते हैं।
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