Answer By law4u team
भारत में, चेक बाउंस (चेक का अनादर) मामले के लिए अधिकतम जुर्माना परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 138 द्वारा नियंत्रित होता है। चेक बाउंस के लिए दंड इस प्रकार हैं: कारावास: चेक का अनादर करने वाले व्यक्ति को दो साल तक की अवधि के कारावास की सज़ा दी जा सकती है। जुर्माना: न्यायालय चेक की राशि से दुगुना तक का जुर्माना लगा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि चेक की राशि 50,000 रुपये है, तो जुर्माना 100,000 रुपये (चेक की राशि का दुगुना) तक हो सकता है। जुर्माने के अलावा, न्यायालय अपराधी को यह भी निर्देश दे सकता है कि यदि चेक अपर्याप्त धनराशि या किसी अन्य कारण से भुगतान के लिए निर्धारित समय सीमा के भीतर अनादरित होता है, तो वह चेक की राशि शिकायतकर्ता को भुगतान करे। इस प्रकार, चेक बाउंस के मामलों में अधिकतम जुर्माना चेक की राशि से दुगुना हो सकता है, साथ ही कारावास भी हो सकता है।