Answer By law4u team
भारत में सरोगेसी के लिए कानूनी प्रावधान सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2020 द्वारा शासित हैं। यह विधेयक अगस्त 2019 में लोकसभा (भारतीय संसद के निचले सदन) द्वारा पारित किया गया था और वर्तमान में राज्यसभा (ऊपरी सदन) में लंबित है। घर)। सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2020 के प्रमुख प्रावधान हैं: पात्रता: केवल भारतीय नागरिक जो विवाहित हैं और जिनकी शादी को कम से कम पांच साल हो चुके हैं, सरोगेसी के पात्र हैं। सरोगेसी के प्रकार: बिल दो प्रकार की सरोगेसी की अनुमति देता है - परोपकारी और वाणिज्यिक। परोपकारी सरोगेसी में, सरोगेट माँ को केवल चिकित्सा व्यय और बीमा कवर प्राप्त होता है, जबकि व्यावसायिक सरोगेसी में, सरोगेट माँ को बच्चे को पालने के लिए भुगतान किया जाता है। विदेशियों पर प्रतिबंध: बिल अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) सहित विदेशियों को भारत में सरोगेसी कमीशन करने से रोकता है। सरोगेसी क्लीनिक: बिल सरोगेसी क्लीनिकों को रेगुलेट करने और सरोगेसी के नैतिक और सुरक्षित अभ्यास को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य सरोगेसी बोर्डों की स्थापना की मांग करता है। स्वास्थ्य जांच: बिल कहता है कि सरोगेट मां सरोगेसी व्यवस्था में प्रवेश करने से पहले मेडिकल जांच से गुजरती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह बच्चे को जन्म देने के लिए चिकित्सकीय रूप से फिट है। कानूनी ढांचा: बिल सरोगेसी के लिए कानूनी ढांचे का प्रावधान करता है, जिसमें सरोगेट मां और कमीशनिंग कपल के अधिकार और जिम्मेदारियां शामिल हैं। सरोगेट मां को चिकित्सा देखभाल का अधिकार है और बच्चे को गर्भपात से इंकार करने का अधिकार है। माता-पिता के अधिकार: बिल कमीशनिंग कपल को माता-पिता के अधिकार देता है और उनके नाम पर जन्म प्रमाण पत्र जारी करने की अनुमति देता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2020 को अभी तक कानून नहीं बनाया गया है और यह परिवर्तन के अधीन है।