हां, हाई कोर्ट अपने कई साल पुराने आदेश को बदल सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ मानदंड और प्रक्रियाएँ होती हैं। भारतीय कानूनी प्रणाली में, आदेश को बदलने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करना होता है: याचिका दर्ज करना: आदेश को बदलने की शुरुआत में, व्यक्ति या पक्ष जो आदेश के खिलाफ है, हाई कोर्ट में एक याचिका दर्ज करता है। आपील या पुनर्विचार का हक: आदेश के खिलाफ याचिका दर्ज करने वाले को हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए आपील या पुनर्विचार का हक होता है, जिसका उपयोग वे अपने मामले को दोबारा जांचने के लिए कर सकते हैं। साक्षरता और मानदंड: हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट केवल ऐसे मामलों को पुनर्विचार कर सकते हैं जो कानूनी मानदंडों को पूरा करते हैं और जिनमें विशेष प्रकार की साक्षरता होती है। नये तथ्य और प्रमाण: पुराने आदेश को बदलने के लिए, याचिकाकर्ता को नए तथ्य या प्रमाण प्रस्तुत करने की आवश्यकता हो सकती है, जो पहले के निर्णय को दोबारा विचार करने का आधार बन सकते हैं। याचिका का प्रशासनिक प्रक्रिया में पालन: याचिका को प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत दर्ज किया जाता है और उसके बाद हाई कोर्ट में विचारणा होता है। हाई कोर्ट अपने आदेश को बदल सकती है जब वह मानदंडों और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करती है और जब याचिका कर्ता को यथासंभाव साक्षरता प्राप्त होती है।
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