विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत भारत में कोर्ट मैरिज में जिला रजिस्ट्रार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यहाँ मुख्य जिम्मेदारियाँ दी गई हैं: 1. विवाह पंजीकरण प्राधिकरण: जिला रजिस्ट्रार कोर्ट मैरिज को पंजीकृत करने और विवाह रजिस्टर को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। 2. आवेदनों को संसाधित करना सूचना की स्वीकृति: जिला रजिस्ट्रार पक्षों से इच्छित विवाह की सूचना प्राप्त करता है और प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों को सत्यापित करता है। सूचना प्रकाशित करना: सूचना स्वीकार करने के बाद, जिला रजिस्ट्रार इसे जनता को सूचित करने और किसी भी आपत्ति की अनुमति देने के लिए प्रकाशित करता है। 3. दस्तावेजों का सत्यापन पात्रता जाँच: जिला रजिस्ट्रार पक्षों की पात्रता, जिसमें आयु, वैवाहिक स्थिति और विवाह करने की कानूनी क्षमता शामिल है, की पुष्टि करता है। 4. विवाह आयोजित करना विवाह समारोह: यदि पक्ष रजिस्ट्रार और गवाहों की उपस्थिति में विवाह करना चुनते हैं, तो जिला रजिस्ट्रार विवाह समारोह का संचालन कर सकता है। 5. विवाह प्रमाण पत्र जारी करना प्रमाण पत्र जारी करना: विवाह संपन्न होने के बाद, जिला रजिस्ट्रार विवाह प्रमाण पत्र जारी करता है, जो विवाह का कानूनी प्रमाण होता है। 6. रिकॉर्ड बनाए रखना रिकॉर्ड रखना: जिला रजिस्ट्रार सभी पंजीकृत विवाहों का आधिकारिक रिकॉर्ड रखता है, जिसे भविष्य में कानूनी उद्देश्यों के लिए एक्सेस किया जा सकता है। 7. विवाद समाधान आपत्तियों का समाधान: नोटिस अवधि के दौरान विवाह पर किसी भी आपत्ति के मामले में, जिला रजिस्ट्रार चर्चा की सुविधा प्रदान कर सकता है या मामले को समाधान के लिए आगे बढ़ा सकता है। निष्कर्ष भारत में कोर्ट मैरिज प्रक्रिया में जिला रजिस्ट्रार का अहम योगदान है, जो यह सुनिश्चित करता है कि विवाह कानूनी रूप से किए जाएं, उचित तरीके से प्रलेखित किए जाएं और भविष्य के संदर्भ के लिए सुलभ हों।
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