विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत एक कानूनी उपाय है जो किसी व्यक्ति को देश में किसी भी न्यायालय या न्यायाधिकरण (सैन्य न्यायालयों को छोड़कर) द्वारा पारित किसी भी निर्णय, डिक्री या आदेश के खिलाफ भारत के सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति देता है। एसएलपी की मुख्य विशेषताएं: 1. संवैधानिक आधार: एसएलपी अनुच्छेद 136 के तहत प्रदान की जाती है, जो सर्वोच्च न्यायालय को उन मामलों में "अपील करने के लिए विशेष अनुमति" देने का अधिकार देती है, जहां वह उचित समझे। 2. विवेकाधीन शक्ति: सर्वोच्च न्यायालय हर एसएलपी को स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं है। यह इस शक्ति का उपयोग उन मामलों में संयम से करता है, जिनमें शामिल हैं: - कानून का महत्वपूर्ण प्रश्न - घोर अन्याय - प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन - कानून में गंभीर त्रुटि 3. कौन दाखिल कर सकता है: कोई भी पीड़ित व्यक्ति निम्न के विरुद्ध एसएलपी दाखिल कर सकता है: उच्च न्यायालयों के निर्णय न्यायाधिकरणों या निचली अदालतों के आदेश समय सीमा: उच्च न्यायालय के निर्णय की तिथि से 90 दिन या यदि उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील का प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया तो 60 दिन। 5 प्रक्रिया: तथ्य, कानूनी आधार और विशेष अनुमति क्यों दी जानी चाहिए, यह बताते हुए याचिका दाखिल करें। चुनौती दिए जा रहे निर्णय की प्रमाणित प्रति संलग्न करें। सर्वोच्च न्यायालय मामले की सुनवाई करेगा और निर्णय लेगा कि अनुमति दी जाए या नहीं। 6 परिणाम: यदि अनुमति दी जाती है तो एसएलपी सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष नियमित अपील बन जाती है। यदि अनुमति देने से इनकार कर दिया जाता है तो मामला वहीं समाप्त हो जाता है। व्यावहारिक उपयोग: एसएलपी का उपयोग अक्सर सिविल, आपराधिक, कर, सेवा और संवैधानिक मामलों में किया जाता है, जब सर्वोच्च न्यायालय में कोई अन्य प्रत्यक्ष अपील नहीं होती है।
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